Such a Weird World

A thousand words go unheard sometimes
While a single syllable creates a sensation.
A million screams are not listened
while a single tear can melt hearts of millions.
A thousand talks may be useless
while a simple silence can make hearts meet.
Such a strange world it is
here a million efforts can't do good
but a single person can change generations.



Saturday, June 15, 2013

FIR against a Godman named Kumarswami

I along with my sister Tanaya, have filed an FIR at Gomtinagar Police Station against a Godman named Brahmrishi Kumarswami. Mr. Kumarswami is one of India's several babas and spiritual gurus who claim to treat various diseases and ailments by their special and divine healing powers. Though the veracity of their claims are highly doubtful, these so-called babas flourish in numbers. India, being a predominantly superstitious country often falls in the clutches of these people. Mr. Kumarswami, at best, is nothing else but a representative and a cross-section of the complex and deadly net of men and women who prey on superstitious people.
Mr. Kumarswami through his website and some advertisements in newspapers, had claimed that people have got rid of ailments such as deafness, muteness, cancer and AIDS by reciting a series of chants known as 'beejmantras'. I don't think that any reasonable person would believe that such problems can be done away with such a chant or spell.
Not only this, Mr. Brahmrishi has also claimed that people of such high stature as former Presidents of India, Chief Ministers and governors of states and even Queen Elizabeth of England form part of his '310 million' disciples and devotees. He further claims that a day after his name has been declared in New  York. He extends his bragging and loudmouthed-ness by saying that it was his beejmantras which saved Bill Clinton's presidency. 
All this talk seems to ambiguous and to some extent fake. Little fact or documentary evidence establishes Mr Kumarswami's case.
Seeing this as a case in which one person is fraudulently creating a different personality to cover himself, we have filed the FIR under Sections 419 & 420 IPC.
Similarly, an FIR under Section 7 of the Drugs and Magical Remedies (Objectionable Advertisement) Act has also been filed.

Here is the copy of our application to the police (In Hindi):

सेवा में,
थाना प्रभारी,
गोमती नगर,
लखनऊ

विषय: श्री ब्रह्मर्षि कुमारस्वामी के विरुद्ध औषधि एवं चमत्कारिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापनअधिनियम, 1954 की धारा  7 तथा भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखवाने हेतु

महोदय,

हम आदित्य ठाकुर पुत्रश्री अमिताभ ठाकुर  डानूतन ठाकुर और तनया ठाकुर पुत्रीश्री अमिताभ ठाकुर  डानूतन ठाकुर निवासी-5/426 विराम खण्ड,गोमतीनगरलखनऊ हैं. हम कक्षा 12पुलिस मॉडर्न स्कूल तथा द्वितीय वर्षबीए,एलएलबी चाणक्य नैशनल लॉ यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्र हैंहमारे पिता श्रीअमिताभ ठाकुर .प्रमें एक आईपीएस अफसर हैं और हमारी माँ डानूतन ठाकुर एक सामाजिक कार्यकर्ता हैंअपनी पढ़ाई के साथ साथ हम दोनों कई सामाजिककार्यों में भी अपने स्तर पर निरंतर हिस्सा लेते हैंक्योंकि हम अपने आप को भारत के ज़िम्मेदार नागरिक के रूप में देखते हैंहम अंधविश्वास के खिलाफ निरंतरअपनी आवाज़ उठाते हैं.

इस तहरीर के माध्यम से हम आपके समक्ष कुछ ऐसी ही घटना सामने ला रहे हैं जिसमे श्री ब्रह्मर्षि  कुमारस्वामी नामक एक व्यक्ति हमारे देश में स्थापित क़ानूनका उल्लंघन करने और लोगों की समस्याओं को चमत्कारिक ढंग से हल करने का दावा करते हुए समाज में अंधविश्वास को फ़ैलाने का कार्य करते दिख रहे हैं. श्री कुमारस्वामी भगवान श्री लक्ष्मी नारायण धाम से सम्बन्ध रखते हैं, जिसका पता सी-27,  ग्रेटर कैलाश इन्क्लेव, पार्ट-I,  नयी दिल्ली-110048, फोन नंबर-   011- 41639067-69  011- 46772250  to  54011- 65577933  to  37011-26241880 से  84, ईमेल-:- prabhukripa999@gmail.com  info@cosmicgrace.org, prabhukripapatrika@gmail.com है.

श्री ब्रह्मर्षि कुमारस्वामी जी अपने आप को 21वीं सदी का एक पहुंचा हुआ आध्यात्मिक गुरु बताते हैं. इसके साथ ही वह दावा करते हैं कि उन्होंने प्राचीन किताबों से कुछ ऐसे मंत्र खोज कर निकाले हैं जिनके एक अनूठे ढंग से उच्चारण करने से लोगों की आर्थिक, मानसिक और शारीरिक समस्याएँ हल होंगी. इस मंत्र को उन्होंने बीजमंत्र का नाम दिया है और इसे वह अपने समागमों में अपने भक्तों को बांटते हैं. चूँकि यह आस्था का विषय है अतः हम इस सम्बन्ध में कोई भी टिप्पणी नहीं करना चाहते और ना ही हमें टिप्पणी करने का अधिकार है.

हमारी आपत्ति उस स्थान से शुरू होती है जब उनके कई दावे प्रथमद्रष्टया ही अतिशयोक्ति से भरी हुई अथवा असत्य लगती हैं. हमारी समझ में इस प्रकार के असत्य और भ्रामक दावे अपराध की श्रेणी में आते हैं क्योंकि श्री कुमारस्वामी इन दावों के बल पर ही तमाम भक्त बनाते हैं और निश्चित रूप से इस प्रक्रिया में इन भक्तों द्वारा उन्हें विभिन्न रूपों में धन प्रदान किया जाता है जो इन भक्तों को अनुचित हानि और श्री कुमास्वामी को अनुचित लाभ की श्रेणी में आता है.

श्री कुमारस्वामी का वेबसाईट (www.cosmicgrace.org/)  कई सारे ऐसे दावे करता है जो प्रथमद्रष्टया ही अतिशयोक्ति से भरी हुई अथवा असत्य लगती हैं. उनका वेबसाईट दावा करता है-“ He has been honored by Government of India, State of Alberta in Canada, State of New York and State of New Jersey in USA, to name a few. He has served as an Advisor to the Ministries of Industry, Labor, Health and Family Planning by the Government of India.” हमारी जानकारी में श्री कुमारस्वामी को भारत सरकार द्वारा कोई आधिकारिक पुरस्कार नहीं दिया गया है. इसी प्रकार उन्हें किसी बाहरी देश अथवा इन देशों के प्रान्तों द्वारा भी कोई आधिकारिक पुरस्कार दिये जाने की बात हालत प्रतीत होती है. श्री कुमारस्वामी द्वारा भारत सरकार के उद्योग, श्रम, स्वास्थ्य मंत्रालय आदि के सलाहकार के रूप में कार्य करने का दावा भी सही नहीं दिखता है.

श्री कुमारस्वामी द्वारा अपने वेबसाईट पर यह दावा किया गया कि- “A multi-step clinical test was conducted on His Holiness Brahmrishi Shree Kumar Swamiji at a research lab in Bangalore, India which is run by Govt. of India’s Ministry of Science and Technology.” अर्थात भारत सरकार के विज्ञानं तथा तकनीकी मंत्रालय द्वारा बंगलोर के एक सरकारी प्रयोगशाला में अलग से उन पर प्रयोग हुए. यहाँ किसी प्रयोगशाला का स्पष्ट नाम नहीं दे कर भ्रामक रूप से इस तरह बातें कहीं गयी दिखती हैं जिनसे लोगों में भ्रम बना रहे और श्री कुमारस्वामी के अपने उद्देश्य की पूर्ति हो जाए और लोग उनके बारे में दिग्भ्रमित रहें. श्री कुमारस्वामी का यह दावा भी पूरी तरह असत्य दिखता है.

उनके वेबसाईट पर कहा गया है कि “His Holiness Brahmrishi Shree Kumar Swamiji's endless powers were witnessed by the senior editors and journalists at the London headquarters of BBC. The audience was stunned to see him diagnose people's ailments on the phone during a live TV show. The show stirred a deep interest among medical scientists and they wanted to know about the dimension of science that Gurudev uses to diagnose ailments” अर्थात बीबीसी पर उन्हें बुलाया गया और उनके चिकित्सकीय प्रतिभा से सारे दर्शक स्तब्ध रह गए. हमारी जानकारी में ऐसा कोई कार्यक्रम बीबीसी द्वारा कभी प्रसारित नहीं किया गया और यह भी श्री कुमारस्वामी द्वारा कहे जा रहे असत्य संभाषणों में एक प्रतीत होता है.

उन्होंने अपनी वेबसाइट पर यह भी दावा किया है कि उनके मानने वालों में इंग्लैंड की महारानी, भारत के कई पूर्व राष्ट्रपति, कई राज्यों के  गवर्नर और मुख्यमंत्री भी शामिल हैं. उन्होंने यह भी दावा किया है कि उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की कुर्सी बचाई. एक जगह उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके पास विश्व भर में कुल पचास करोड़ अनुयायी हैं. उन्होंने अपनी वेबसाईटों पर यह भी दावा किया कि उनके बीजमंत्रों द्वारा उनके भक्तों को एड्स, बहरापन, गूंगापन, कैंसर, नशे की लत आदि बीमारियों और कष्टों से मुक्ति मिल गयी. हम श्री कुमारस्वामी के वेबसाईट के सम्बंधित पृष्ठ की प्रति यहाँ साक्ष्य के रूप में संलग्न कर रहे हैं.

हमने जब इन समस्त दावों के सम्बन्ध में इंटरनेट पर खोजना शुरू किया तो यह पाया कि श्री कुमारस्वामी के किये गए इन तमाम दावों की किसी भी अन्य स्तर पर कोई पुष्टि होती नहीं दिखी. मात्र उनके स्वयं के वेबसाईट और उनके ब्लॉग के अलावा इन्टरनेट पर श्री कुमारस्वामी के बारे में लगभग शून्य जानकारी है. उनके किसी भी दावे की किसी अलग निष्पक्ष एजेंसी अथवा समाचारपत्र आदि से कोई पुष्टि होती नहीं दिखी. आज के समय इन्टरनेट इतना ताकतवर हथियार है कि वह किसी भी व्यक्ति के बारे में लगभग सभी तथ्य ला कर सामने रख देता है. ऐसे में एक व्यक्ति जो स्वयं को देश-विदेश में इतना महान व्यक्ति बताता हो जिसे अमेरिकी और ब्रिटिश राष्ट्राध्यक्ष तक जानते और सम्मानित करते रहे हों, उनके विषय में पूरे इन्टरनेट पर उनके अपने वेबसाईट के अलावा बहुत कम जानकारी मिलने पर हमें लगभग पूर्ण विश्वास हो गया था कि इस मामले में असत्य संभाषण कर लोगों को ठगने, उनके सामने खुद के विषय में बड़े-बड़े दावे और भ्रान्तिपूर्ण तथ्य प्रस्तुत कर स्वयं को महिमामंडित कर लोगों को भ्रमित करने और गलत ढंग से प्रतिरूपण कर लोगों में विश्वास पैदा कर अपना हित साधने की स्थिति हो सकती है.

साथ ही साथ हमें विश्वास नहीं हुआ कि कोई व्यक्ति कुछ जादू-टोटकों से ऐसी गंभीर समस्याओं ने निवारण कर सक्ता है.

अतः हमने दिनांक 16/1/2013 को ब्रह्मर्षि  श्री कुमारस्वामी को एक लीगल नोटिस भेजा जिसके द्वारा हमने कुल 10 प्रश्नों, जिनमें यह साफ लग रहा था कि श्री कुमारस्वामी द्वारा लोगों को गुमराह किया जा रहा हैं, पर उनसे 1 महीने की अवधि में स्थिति स्पष्ट करने का निवेदन किया. हमें अपने पत्र का कोई जवाब न मिला, इसीलिए यह अवधि ख़त्म होने पर हमने फिर से दिनांक 20/02/2013 को पत्र भेजा. इसकी भी अवधि निकल गयी और हमें अपने प्रश्नों का किसी भी प्रकार का उत्तर न मिला. हम अपने इन दोनों पत्रों की प्रति भी यहाँ संलग्न कर रहे हैं जो यह स्पष्ट कर देगा कि पुलिस के पास आने से पूर्व हमने श्री कुमारस्वामी के बढे-चढ़े दावों की सत्यता जानने का अपने स्तर पर पूरा प्रयास किया था.

इसी बीच में हमारे सामने कई उदाहरण आये जिसमे ब्रह्मर्षि श्री कुमारस्वामी ने अखबारों और इन्टरनेट के माध्यम से गूंगापन, बहरापन, एड्स जैसी बीमारियों को हल करने का दावा करते हुए विज्ञापन निकाले थे. उदाहरानार्थ श्री कुमारस्वामी द्वारा दिनांक 22/11/2012 के वाराणसी संस्करण में प्रथम पृष्ठ पर निकले विज्ञापन में तमाम असाध्य रोगों के इलाज के खुलेआम दावे किये गए थे. कृपया ज्ञातव्य हो कि इनमे कई ऐसी बीमारियों के इलाज का भी दावा था जो औषधि एवं चमत्कारिक उपचार(आपत्तीजनक विज्ञापनअधिनियम, 1954 का उल्लंघन है तथा इस अधिनियम की धारा 5 के अनुसार निषिद्ध हैं,  जैसे बहरापन, गूंगापन, कैंसर, दिल की बीमारियों का प्रचार करना या विज्ञापन निकालना. इस अधीनियम की धरा 7 के अंतर्गत किसी भी ऐसे व्यक्ति जो कि धारा 5 का उल्लंघन करता है उसको सजा का प्रावधान है. श्रीब्रह्मर्षि द्वारा किए गए कृत्य इस अधिनियम के धरा 5 का उल्लंघन करते दिखते हैं. हम श्री कुमारस्वामी द्वारा निकलवाये गए उपरोक्त विज्ञापन की प्रति भी इस पत्र के साथ संलग्न कर रहे हैं.

यहाँ एक अन्य तथ्य भी विशेष रूप से द्रष्टव्य है कि श्री कुमारस्वामी द्वारा अपने सम्बन्ध में जो विभिन्न दावे किये जाते हैं जिनके संबंध में हमने उनसे इन दावों के प्रथमद्रष्टया अविश्वसनीय होने की दशा में इन पर स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया था लेकिन हमारे द्वारा दो-दो बार अनुरोध के बाद भी उन्होंने अपनी बात नहीं रखी, जिससे हमारी आशंका प्रबल होती है.

सबसे पहले तो यह कि श्री कुमारस्वामी तथा/अथवा उनसे सम्बंधित संस्था या समूह विभिन्न लोगों से धन प्राप्त करती है. यह सही है कि वे किसी से जबरदस्ती धन नहीं मांगते और लोग स्वतः ही अपनी मर्जी से धन देते हैं. लेकिन लोगों को इस प्रकार धन देने के लिए श्री कुमारस्वामी और उनके लोगों द्वारा जो गलत तथ्य प्रस्तुत किये जाते हैं या असत्य संभाषण किया जाता है, जिनका हमने ऊपर विस्तार में वर्णन किया है, वे लोगों के धन देने की प्रक्रिया को दूषित और आपराधिक बना देते हैं क्योंकि लोग इन गलत तथ्यों और असत्य  साथ ही हमें बताए गए तथ्यों के अनुसार श्री कुमारस्वामी को उनके कार्यक्रम/समागम अथवा अन्यथा धन देते हैं. किसी भी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के समक्ष भ्रांतिपूर्ण तथ्य प्रस्तुत कर अथवा स्वयं के विषय में असत्य दावे कर लोगों को मतिभ्रमित करना और उनके मन भ्रम पैदा कर ऐसी स्थिति उत्पन्न कर देना छल का आपराधिक कृत्य है और इस प्रकरण में भी उपरोक्त तथ्यों के आधार पर प्रथमद्रष्टया ऐसा प्रतीत होता है. यहाँ प्रथमद्रष्टया यह बात भी सामने आती है कि श्री कुमारस्वामी द्वारा किये गए दावे अर्थात स्वयं को वह बताना जो वे नहीं दिखते, प्रतिरूपण की भी श्रेणी में आता दिखता है.

इसीलिए आपसे अनुरोध है कि आप ऊपर वर्णित समस्त तथ्यों तथा हमारे द्वारा पूर्व में प्रेषित पत्र दिनांक 16/1/2013  तथा 20/02/2013 तथा श्री कुमारस्वामी के वेबसाईट पर किये गए विभिन्न दावों को ध्यान में रखते हुए औषधि एवं चमत्कारिक उपचार (आपत्तीजनक विज्ञापनअधिनियम, 1954 की धारा 7 तथा भारतीय दंड अधिनियम में छल, प्रतिरूपण द्वारा छल तथा अन्य सम्बंधित उचित धाराओं के अंतर्गत श्री ब्रह्मर्षि कुमारस्वामी के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर नियमानुसार विवेचना कराये जाने  की कृपा करें.

पत्र संख्या- TT/BKS/01                                          भवदीय,
दिनांक-    /06/2013
(आदित्य ठाकुर) (तनया ठाकुर)
5/426 विराम खंड
गोमती नगर, लखनऊ
94155-34525

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